– चाइनीज पिस्टलों की तस्करी करने वाला गिरोह कमाता है मोटा मुनाफा
– जैसा व्यक्ति वैसा ही दाम लगाते हैं पिस्टलों की तस्करी करने वाले
मोहन श्याम गौड़
वाल्मिकीनगर, पश्चिमी चम्पारण, बिहार।
बिहार राज्य के वाल्मिकीनगर कस्बे से पांच भाइयों के गिरोह के द्वारा चलाए जा रहे चाइनीज पिस्टलों की तस्करी के गिरोह तस्करी का मोटा मुनाफा मिलता है। मुनाफे का आलम तो यह है कि 40 हजार की चाइनीज पिस्टल ग्राहकों के हाथ तक पहुंचते पहुंचते डेढ़ लाख से ढाई लाख तक की हो जाती है। गिरोह के लोग आदमी की जरुरत को देखकर पिस्टल का दाम लगाते हैं। लेकिन डेढ़ लाख से कम में किसी भी पिस्टल का सौदा नहीं होता है। हर पिस्टल के पीछे न्यूनतम 1 लाख रुपए की कमाई करने वाला गिरोह इसकी कमाई से आर्थिक रुप से काफी मजबूत हो गया है।
चाइनीज पिस्टलों की तस्करी करने वाले पांच भाइयों का यह गिरोह पिछले 15 सालों से इस धन्धे में लिप्त है। गिरोह का संचालन करने वाला पांच भाइयों का पांचवी फेल सरगना इस धन्धे का काफी माहिर खिलाड़ी माना जाता है। पहले थोक भाव में पिस्टल बेचने वाले से 40 हजार प्रति पिस्टल के हिसाब से सौदा होता है। नेपाल में पिस्टलों की खेप उसे सौंप दी जाती है। इसके बाद वह चाइनीज पिस्टलों की खेप लाने के लिए नदियों का सहारा लेता है। नदियों में नावों के सहारे देर रात पिस्टलों की खेप लाई जाती है। ताकि एसएसबी और पुलिस की नजरों से बचा जा सके। थोक भाव में पिस्टलों की खेप लाकर स्टोर कर लेता है। इसके बाद जो ग्राहक उसके नम्बर में पहले से ही होते हैं उन्हें विभिन्न स्थानों पर काफी सावधानी से ले जाकर ये पिस्टलें अपने कैरियरों के जरिए पहुंचाता है। धन्धे की ईमानदारी का आलम यह है कि जितने में सौदा होता है, उतना पैसा पहले से ही ग्राहक सौदेबाजी में मुख्य भूमिका अदा करने वाले दलाल तक कैरियर के जरिए पहुंचा देता है। वह दलाल इस पैसे को गिरोह के सरगना तक पहुंचा देता है। तय समय में कैरियर के जरिए पिस्टल की डिलिवरी निर्धारित स्थान पर दे दी जाती है। इसके साथ ही असलहा तस्करी का यह कारोबार पूरी तरह से निर्बाध तरीके से चलता रहता है।
दलाल देता है कैरियर को 15 प्रतिशत कमीशन
बताया जाता है कि पिस्टलों की दलाली करने वाले को प्रति पिस्टल 30 प्रतिशत का कमीशन दिया जाता है। इसलिए दलाल भी अधिक से अधिक मूल्य पर पिस्टलों की सौदेबाजी करते हैं। लेकिन यहां भी यह ध्यान रखा जाता है कि पिस्टल का मूल्य डेढ़ लाख से कम न हो। पिस्टल को यूपी और बिहार में ले जाने का काम दलाल के प्रशिक्षित कैरियर करते हैं। इसके लिए उन्हें 15 प्रतिशत कमीशन दिया जाता है। कारण यह है कि वे ग्राहक से पैसा लाने के साथ डिलिवरी भी देने का जोखिमभरा काम करते हैं। वे काफी गोपनीयता से पिस्टलों को ट्रेनों और बसों के जरिए जाकर पिस्टल खरीदने वाले को डिलीवर कर देते हैं। चूंकि पहले से ही पिस्टल का पैसा मिल चुका होता है। इसलिए कैरियर को पैसा मिलने या न मिलने का खतरा भी नहीं होता है।
बिना काम वाल्मिकीनगर में पड़े रहते हैं कैरियर
इस तस्करी में कैरियर की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। वही ग्राहक को दलाल से मिलवाते हैं। सौदेबाजी कराने में अपनी भूमिका निभाते हैं। यही नहीं ग्राहकों के यहां जाकर पैसा भी लाते हैं, इसके साथ ही डिलिवरी भी पहुंचाते हैं। इसके लिए इनका काफी खयाल रखा जाता है। इनके खाने पीने से लेकर मनोरंजन तक का पूरा खयाल रखा जाता है। असलहा तस्करों का दलाल इन्हें दामादों की तरह से रखता है।
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चाइनीज पिस्टलों की तस्करी – भाग 1 चाइनीज पिस्टलों की तस्करी – भाग 2 चाइनीज पिस्टलों की तस्करी – भाग 3 चाइनीज पिस्टलों की तस्करी – भाग 4