– सपा प्रत्याशी का समर्थन करने वाले 4 जिला पंचायत सदस्यों ने कर दी क्रास वोटिंग
– भाजपाइयों ने खामोशी से बनाया था फूलप्रूफ प्लान, नहीं होने दी किसी को भी भनक
संतकबीरनगर। अरुण सिंह
जोर शोर से जीत का दावा करने वाले समाजवादियों की प्लानिंग पर अन्तत: नीना के लिए संकटमोचन बने सदर विधायक जय चौबे ने अन्तत: सपा के किले में सेंध लगा दी। चुनाव के अन्तिम दौर में जोड़ तोड़ के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले जय चौबे ने अभेद्य समझे जाने वाले समाजवादी किलाबन्दी को तहस नहस कर दिया। यही भाजपा की जीत के साथ ही समाजवादियों के हार की ताबूत में अंतिम कील साबित हुआ। सपा के पहलवान चित हो गए और भाजपा ने अंकगणित को फिट करते हुए जिले की सबसे बड़ी पंचायत पर फतह का झण्डा फहरा दिया।
जिला पंचायत में भाजपा समर्थित उम्मीदवार नीना देवी को विजय श्री दिलाने के लिए जिले के तीनों विधायक श्रीराम चौहान सेतु का काम कर रहे थे। वहीं राकेश सिंह बघेल सभी के बीच समन्वय बनाते हुए पार्टी के प्रत्याशी की जीत का हिसाब लगाने में जुटे हुए थे। वहीं जिले में जोड़ तोड़ के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले दिग्विजयनारायण चतुर्वेदी उर्फ जय चौबे अपनी पूरी टीम को लेकर समाजवादी किले में सेंध लगाने में जुटे हुए थे। समाजवादी पार्टी अपनी अंकगणित लगाकर पूरी तरह से जीत के प्रति आश्वस्त हो गई थी। लेकिन समाजवादी पार्टी के समर्थित प्रत्याशी के पक्ष में हुई किलेबन्दी को अन्तिम दौर में जय चौबे ने पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। उन्होने जहां भाजपा के बागी उम्मीदवार का वोट भाजपा प्रत्याशी को दिला दिया। यही नहीं एक अल्पसंख्यक उम्मीदवार को भी तोड़ लिया। इन दोनों वोटों को लेकर जय चौबे सबसे अन्त में पहुंचे। वहीं अन्य दोनों विधायकों ने अंकगणित को फेल करने के लिए कुल 4 सदस्यों की क्रास वोटिंग करने में सफलता पाई। इन सदस्यों की क्रासवोटिंग की बदौलत ही भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी को विजय श्री हाथ लगी। जबकि रामप्रकाश यादव जो चुनाव का संयोजन कर रहे थे, वे हर स्थिति पर नजर रखे हुए थे । जिले के कद्दावर नेता दिगपाल पाल और उनके भाई तथा गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष डॉ सत्यपाल पाल जुड़े हुए वोटों को सहेजने का काम कर रहे थे। संतोष चौहान अपने क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्यों को जोड़े हुए थे। भाजपा की पूरी टीम काफी जोर शोर से जुटी हुई थी। सपाई किले को तबाह करने की अपनी रणनीति को ऐन वक्त पर जय चौबे ने अमली जामा पहना दिया और समाजवादी किले में जबरदस्त सेंध लगा दी। यही इस मैच का टर्निंग प्वाइण्ट साबित हुआ। एकाएक हुए इस फेर बदल को जब तक सपाई समझ पाते तब तक जय चौबे ने उनके हाथ से जीत छीन ली। ऐन वक्त पर वे दो सदस्यों को तोड़ने में सफलता नहीं पाए होते तो वे दोनो वोट विपक्षी खेमे को चले जाते और जीत भाजपा के हाथ से फिसल चुकी होती। लेकिन फूलप्रूफ प्लानिंग के चलते उनकी गणित फेल हो गई।
भाजपा के पक्ष के दो सदस्यों ने भी की क्रासवोटिंग
भारतीय जनता पार्टी भी क्रास वोटिंग से अछूती नहीं रही। समाजवादी पार्टी ने भी जुगत लगाकर दो जिला पंचायत सदस्य जो भाजपा के खेमें में थे, उनसे क्रास वोटिंग कराने में सफलता पाई। ये दो जिला पंचायत सदस्य थे तो भाजपा की टीम में। लेकिन इन सदस्यों ने वोट समाजवादी उम्मीदवार को दे दिया। इन्हीं दो क्रास वोटिंग करने वाले सदस्यों को जोड़कर विपक्ष अपनी जीत को तय मानकर चल रहा था। लेकिन उसे शायद अपना गिरता हुआ किला नजर नहीं आया। नतीजा यह हुआ कि उनकी क्रास वोटिंग की यह गणित धरी की धरी रह गई।