– अप्रशिक्षित ड्राइवरों की फौज के साथ दूसरे स्कूल की बस में भेज दिया टूर
– अभी तो हादसा छोटा था, कहीं पहाडि़यों में हादसा होता तो बिगड़ जाती स्थिति
संतकबीरनगर। अरुण सिंह
कन्नौज में जिले के सात बीटीसी छात्रों की असामयिक मौत से पूरे जनपद के लोग गमजदा हैं। बीटीसी के बच्चे आज भी पूरे मंजर को याद करके सिहर उठते हैं। बच्चे एसी बस से जाना चाहते थे। इसके लिए बात भी हो गई थी। एक ट्रेवल कम्पनी ने 550 बच्चों की यात्रा के लिए 10 लाख रुपए मांगे थे। लेकिन यही 10 लाख रुपए बचाने के चक्कर में प्रबन्ध तन्त्र ने 550 होनहारों को मौत के मुंह में ढकेल दिया।
बीटीसी के छात्र जो प्रत्यक्षदर्शी हैं वे बताते हैं कि जब टूर की बात शुरु हुई तो हर छात्र से 8 हजार रुपए की वसूली की गई थी। चाहे कोई छात्र या छात्रा टूर पर जाना चाहता हो या नहीं । सभी को पैसा देना ही था। कुल 44 लाख रुपए इकट्ठा हुए थे। इसे लेकर छात्रों ने कहा था कि वे इस तरह की बसों में नहीं जाएंगे। इसके लिए एसी बस की व्यवस्था की जाए। एसी बस वाले ट्रेवल एजेण्टों से बात भी हुई थी और वे इसके लिए 10 लाख रुपए व डीजल की मांग कर रहे थे। लेकिन 44 लाख की वसूली करने वाले प्रबन्ध तन्त्र को यह अधिक लगा। यह 10 लाख बचाने के चक्कर में ब्लूमिंग बड्स सीनियर सेकेण्डरी स्कूल की 13 स्कूली बसों को ले लिया गया। जिसमें न तो एसी ही लगा था। और न ही वे हाई फ्लोर की थीं। प्रबन्ध तन्त्र के भय से छात्र प्रतिरोध नहीं कर सके। नतीजा यह हुआ कि अप्रशिक्षित ड्राइवरों व अनफिट बसों के साथ उत्तराखण्ड की यात्रा शुरु हो गई। अभी बसें उत्तराखण्ड नहीं पहुंची, रास्ते में ही दुर्घटना हो गई और ये बसें वापस चली आई वह भी 7 होनहारों को खोकर । अगर अप्रशिक्षित चालकों को लेकर ये अनफिट बसें पहाडि़यों में गई होतीं तो शायद और भी बड़ा हादसा हो सकता था। अभी तो थोड़ी ही जन हानि हुई थी। इस घटना के बाद कन्नौज से जब शव आए तो आम जनता के साथ ही साथ लोग भी परिजन भी आक्रोशित हो गए । परिजनों की तहरीर पर पूरे प्रबन्ध तन्त्र के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। जिलाधिकारी ने पूरे मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। जिसमें एडीएम, डीआईओएस और एआरटीओ शामिल हैं। फिलहाल जांच मंथर गति से शुरु हो गई है। लेकिन लोगों के अन्दर इसको लेकर आक्रोश का माहौल बरकरार है। बीटीसी के छात्र व छात्राओं में भी आक्रोश बढ़ता जा रहा है। प्रशासन कहीं भी कोई ढिलाई करता है तो उसे इस आक्रोश को झेलना पड़ेगा।
वसूले 44 लाख, मुआवजा दिया एक लाख
शैक्षिक भ्रमण के लिए 44 लाख की वसूली करने वाले प्रबन्ध तन्त्र की हालत यह है कि उसने हर मरने वालों के परिजनों को 1- 1 लाख रुपए का मरहम लगाया है। 44 लाख की वसूली करके 1 लाख रुपए की सहायता देने वाला प्रबन्ध तन्त्र परिवार के 1 बच्चे की पढ़ाई का भी दावा कर रहा है। यही नहीं इस बात को इस तरह से प्रचारित और प्रसारित कराया है मानों कोई बहुत बड़ा काम कर दिया। उसकी फोटो खिंचवाकर अखबारों में भेजवाया और प्रचार कराया। मुआवजे के 6 गुनी रकम तो छात्रों से ही वसूल ली गई थी।
हर तरह की मृत्यु में होता है अन्तर
कुछ लोग प्रतिक्रिया दे रहे थे कि मैनपुरी में बस पलटने से 17 लोगों की मौत हो गई। उसी तरह से बीटीसी के छात्रों की भी मौत हो गई। लेकिन उन्हें शायद इस बात का पता नहीं था कि यह मौत संतकबीरनगर जनपद पर कितनी भारी पड़ी। प्रशासन ने तो तुरन्त ही 2 – 2 लाख रुपए मुआवजे की घोषणा भी कर दी थी। इसलिए 7 छात्रों के मौत की तुलना मैनपुरी की घटना से नहीं करनी चाहिए। इस तरह से तुलना करके जिम्मेदारी से बचा नहीं जा सकता है।
प्रबन्ध तन्त्र के फेसबुकिए समर्थक भी सक्रिय
पूरी तरह से भूमिगत प्रबन्ध तन्त्र के फेसबुकिए समर्थक पूरी तरह से सक्रिय हो गए है। चन्द रुपयों के लिए वे फेसबुक से लेकर वाट्सअप तक प्रबन्ध तन्त्र के गुणगान गा रहे हैं। प्रबन्ध तन्त्र को बेकसूर मानते हैं तो फिर उसकी शान में कसीदे भी पढ़ते हैं। फेसबुक पर वे प्रबन्ध तन्त्र को महिमा मण्डित करने से नहीं चूक रहे हैं।