- बड़े पुत्र वैशाली छापडि़या ने दी उन्हें मुखाग्नि
- भारी संख्या में उपस्थित रहे गणमान्य लोग व परिजन
संतकबीरनगर/ अयोध्या । न्यूज केबीएन
खलीलाबाद के व्यवसाई व समाजसेवी जगन्नाथ प्रसाद छापडि़या सोमवार को अयोध्या धाम में सरयू के तट पर पंचतत्व में विलीन हो गए। उनके बड़े पुत्र वैशाली छापडि़या ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान जनपद के गणमान्य लोगों के साथ ही साथ अन्य जनपदों व विविध प्रान्तों से आए उनके परिजनों ने उन्हें श्रद्धासुमन समर्पित किया तथा उनके प्रति अपनी संवेदनाएं भी व्यक्त की।

जगन्नाथ प्रसाद छापडि़या की चिता को मुखाग्नि देते हुए उनके पुत्र वैशाली छापडि़या
खलीलाबाद में स्थित संकटमोचन द रिटेल शाप के संरक्षक जगन्नाथ प्रसाद छापडि़या का रविवार की शाम को लखनऊ में निधन हो गया था। उनके निधन के उपरान्त जनता और परिजनों के अन्तिम दर्शन के लिए उनके शव को जिला मुख्यलाय पर लाया गया। सोमवार की दोपहर में अन्तिम दर्शन के बाद उनके शव यात्रा अयोध्या धाम के लिए प्रारम्भ हुई। उनकी शव यात्रा में हजारो लोग शामिल हुए। ये लोग उनके शव के साथ अयोध्या धाम गए तथा उनको अन्तिम विदाई दी। वहां पर उनके बड़े पुत्र वैशाली छापडि़या ने उन्हें मुखाग्नि दी। उनके साथ उनके छोटे पुत्र विवेक छापडि़या, पौत्र राघव छापडि़या, केशव छापडि़या, नमन छापडि़या ने भी उन्हें पूरे पारम्परिक रीति रिवाज के साथ अन्तिम विदाई दी।

चिता की परिक्रमा करते हुए छापडि़या परिवार के सदस्यगण
इस अवसर पर अज्जू छापडि़या, सौरभ छापडि़या, पवन छापडि़या, अमरनाथ रुंगटा, सुनील छापडि़या, आशीष छापडि़या, विनय छापडि़या, उमंग छापडि़या, गोपाल छापडि़या, कैलाशपति रुंगटा, मनीष रुंगटा, रामगोपाल रुंगटा, दिनेश चिरानिया, प्रख्यात भजन गायक हरिमहेन्द्र पाल सिंह उर्फ रोमी सरदार, सतविन्दर पाल सिंह जज्जी, इंस्पेक्टर शमशेर बहादुर सिंह, सुनील अग्रवाल, एचआर इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य रामकुमार सिंह, अखिलेन्द्र सिंह, सुधीर जैन, कुन्ज बिहारी रुंगटा, दिनेश बहादुर सिंह के साथ ही साथ बहराइच, सीतापुर, मुजफ्फरपुर, गोरखपुर, महराजगंज, मुम्बई, दिल्ली, लखनऊ, बस्ती, फैजाबाद के साथ ही साथ विभिन्न स्थानों से आए अन्य लोग भी मौजूद रहे।
लव कुश मन्दिर के महंथ भी रहे मौजूद
इस दौरान अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि के सामने स्थित श्री लवकुश मन्दिर के महंथ जी भी मौके पर मौजूद रहे। उनकी मौत की खबर पाने के बाद से ही वे काफी विकल थे। महंथ जी पूरे समय तक वहां पर मौजूद रहे। कारण यह था कि जगन्नाथ प्रसाद छापडि़या उनके अनन्य भक्त थे और लवकुश मन्दिर से पिछले कई दशक से उनका सम्बन्ध था। उन्होंने श्री लवकुश मन्दिर में एक अत्याधुनिक धर्मशाला का भी निर्माण कराया था। मन्दिर के निरन्तर विकास के लिए वे हर समय सक्रिय रहते थे।

चिता के पास शोकाकुल अयोध्या के श्री लवकुश मन्दिर के महंथ
श्मसान पर हुआ श्री सुन्दरकाण्ड का पाठ
इस अवसर पर अयोध्या में स्थित महा शमशान पर श्री सुन्दर काण्ड का पाठ पांच विद्वान पण्डितों के द्वारा किया गया। कारण यह था कि वे रोज श्री सुन्दरकाण्ड का नियमित पाठ किया करते थे। चाहे वह बीमार अवस्था में रहे हों या फिर किसी अन्य अवस्था में। वे इस पाठ को भूलते नहीं थे। इसलिए उनके पुत्रों ने पांच विद्वानों को श्री सुन्दरकाण्ड के पाठ के लिए बुलाया था। एक तरफ उनकी चिता जल रही थी और दूसरी तरफ श्री सुन्दरकाण्ड का पाठ हो रहा था।

शमसान पर चिता के समक्ष्ा श्री सुन्दरकाण्ड का पाठ करते हुए विद्वान पाण्डितगण